प्राचीन समय की बात है। एक गांव में एक सेठ रहता था। वाह बहुत ही धनवान था और उसका एक सुखी परिवार था। एक दिन वह घर में अकेला था और बहुत बेचैनी हो रही थी। आधी रात बीत चुकी थी लेकिन उसकी बेचैनी कम नहीं हो रही थी।
सेठ ने सोचा कि घर के पास वाले मंदिर में जा के भगवान के दर्शन कर आएं तो शायद उसका मन शांत हो जाए।फिर सेठ मंदिर के लिए निकल गया। मंदिर पहुंचने पर सेठ ने देखा कि एक बूढ़ा आदमी भगवान के पास बैठ के रो रहा है। सेठ बूढ़े आदमी के पास पाहुचा और उससे पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो? और तब बूढ़े आदमी ने बताया कि उसकी पत्नी बीमार है और अस्पताल में है। इलाज के लिए उसका पास पैसा नहीं है और अगर उसके लिए पैसा जमा नहीं है तो डॉक्टर उसका इलाज नहीं करेगा।
सेठ ने आदमी से कहा कि तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी पत्नी का इलाज करवाऊंगा और उसने हमसे कहा, आदमी अपनी जेब से पैसे निकाल ले। पैसा देख के वो आदमी खुश हो गया और सेठ को धन्यवाद देकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया। उस आदमी की मदद करने के बाद सेठ का मन शांत हो गया।
उसने भगवान को प्रणाम किया और सोचने लगा कि शायद इसी कारण से सो नहीं पा रहा था। भगवान को मेरे मध्यम से गरीब की मदद करवानी थी। सेठ घर आ के चैन की नींद सो गई.
कथा की सीख:- जो लोग भगवान पे भरोसा करते हैं उनकी सभी परेशानिया दूर हो सकती हैं. जब भगवान एक दरवाजा बंद करते हैं तो दूसरा दरवाजा खोल देते हैं। बुरे समय में हमेशा धैर्य बनाना चाहिए। इस कहानी से एक और सीख मिलती है कि हमें जरूरी लोगों की मदद करनी चाहिए। हमारी छोटी सी मदद दूसरो के लिए अनमोल हो सकती है।